दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के बारे में
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के बारे में :-
आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दिनांक 23 सितंबर, 2013 को मौजूदा स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) के स्थान पर राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) आरंभ किया था । एनयूएलएम में शहरी गरीबों को सशक्त आधारभूत स्तर की संस्थानों में संगठित करने, कौशल विकास के लिए अवसर सृजित करने पर जोर दिया जाएगा जिससे बाजार आधारित रोजगार प्राप्त होगा तथा आसानी से ऋण सुनिश्चित करके स्व-रोजगार उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान की जाएगी। मिशन का लक्ष्य शहरी बेघरों को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य सेवाओं से युक्त आश्रय मुहैया कराना है । इसके अतिरिक्त, मिशन में शहरी पथ विक्रेताओं के आजीविका संबंधी मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
एनयूएलएम का मुख्य विशेषताएं निम्नवत है:
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कवरेज : 12वीं पंचवर्षीय योजना में एनयूएलएम का कार्यान्वयन सभी जिला मुख्यालय कस्बों (आबादी पर ध्यान दिये बिना) और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक लाख और इससे अधिक आबादी वाले अन्य कस्बों में किया जाएगा । वर्तमान में एनयूएलएम के मामलों के अंतर्गत 790 शहर शामिल हैं । तथापि, आपवादिक मामलों में अन्य कस्बों को राज्यों के अनुरोध पर अनुमति दी जाएगी ।
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लक्ष्य आबादी : एनयूलएम का प्राथमिक लक्ष्य शहरी बेघर व्यक्तियों सहित शहरी गरीब व्यक्ति हैं ।
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वित्त्पोषण की भागीदारी : केन्द्र और राज्य के बीच 75:25 की अनुपात में वित्त्पोषण किया जाएगा । पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी राज्यों (अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए यह अनुपात 90:10 होगा ।
मार्गदर्शी – सिद्धांत
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राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) का मूल विश्वास यह है कि गरीब लोग उद्यमी होते हैं और उनकी अभिलाषा गरीबी से बाहर निकलने की होती है । इसमें चुनौती उनकी क्षमताओं का उपयोग करके उनके लिए सार्थक और सुस्थिर जीविका के साधन पैदा करने की है। इस प्रक्रिया में पहला कदम यह है कि शहरी गरीबों को अपने निजी संस्थान स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है । उन्हें तथा उनके संस्थानों को पर्याप्त क्षमता प्रदान किए जाने की आवश्यकता है ताकि वे बाह्य परिवेश का प्रबंधन कर सकें, वित्त प्राप्त कर सकें, अपने कौशल, उद्यमों और संपतियों का विस्तार कर सकें । इसके लिए निरंतर और ध्यानपूर्वक तैयार की गई एक जुट सहायता की आवश्यकता है । राष्ट्रीय स्तर से लेकर शहरी और समुदाय के स्तर पर एक बाह्य, कटिबद्ध और संवेदनशील सहायता ढांचे की आवश्यकता है ताकि सामाजिक संगठन, संस्थान का निर्माण और जीविका संवर्धन को प्रोत्साहित किया जा सके ।
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राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) का यह विश्वास है कि किसी भी आजीविका कार्यक्रम को केवल समयबद्ध तरीके से ही आगे बढाया जा सकता है बशर्ते कि इसे गरीबों और उनके संस्थानों द्वारा संचालित किया जाए । ऐसे सुदृढ संस्थागत ढांचे गरीबों के लिए उनके निजी मानव, सामाजिक, वित्तीय और अन्य संपतियों को निर्मित करने में सहायक होते हैं । इस प्रकार ये उन्हें सरकारी और निजी क्षेत्रों से अधिकारों, हकदारियों, अवसरों और सेवाओं को प्राप्त करने में समर्थ बनाते हैं और साथ ही उनकी एकता सुगठित करते हैं, अभिव्यक्ति और लेन-देन की शक्ति को भी बढाते हैं ।
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संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के अनुसार शहरी गरीबी उपशमन, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) का विधिक कार्य है । इसलिए शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को शहरों/कस्बों में रह रहे शहरी गरीबों से संबंधित उनके कौशल और जीविका सहित उनसे संबंधित समस्त मुद्दों और कार्यक्रमों के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाने की आवश्यकता है ।
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एनयूएलएम का उद्देश्य कौशल विकास और ॠण की सुविधाओं के लिए शहरी गरीबों को व्यापक रूप से शामिल करना है । यह बाजार-आधारित कार्यों और स्वरोजगार के लिए शहरी गरीबों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने तथा सुगमता से ॠण प्राप्त करने की दिशा में प्रयास करेगा ।
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पथ विक्रेता शहरी जनसंख्या का महत्वपूर्ण अंग हैं जो कि पिरामिड के धरातल पर हैं। पथ विक्रय स्व-रोजगार का एक स्रोत प्रदान करता है और इस प्रकार यह बिना प्रमुख सरकारी हस्तक्षेप के शहरी गरीबी उपशमन के एक उपाय के रूप में कार्य करता है । शहरी आपूर्ति श्रृंखला में उनका प्रमुख स्थान होता है और ये शहरी क्षेत्रों के भीतर आर्थिक विकास की प्रक्रिया के अभिन्न अंग होते हैं । एनएलयूएम का उद्देश्य उन्हें अपने कार्य के लिए उपयुक्त स्थल प्रदान करना, संस्थागत ॠण सुलभ कराना, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और बाजार के उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए उनका कौशल बढाना होगा । ऐसे शहरी बेघर लोग जो कि बिना किसी आश्रय अथवा सामाजिक सुरक्षा के रह रहे हैं, अत्यंत असुरक्षित वर्ग है जब कि वे अपने सस्ते श्रम से शहरों के सुस्थिर विकास में योगदान करते हैं । पटरियों पर जीवन, शारीरिक रूप से पीडादायक और चुनौती पूर्ण परिस्थितियों में निरंतर किनारे पर बसर करने जैसा होता है । बेघर लोगों के सामने पेश आ रही आश्रय, सामाजिक आवास और सामाजिक सुरक्षा जैसी चुनौतियों को दूर करने के लिए उपयुक्त नीतिगत क्रियाकलाप किए जाने की आवश्यकता है। तदनुसार एनयूएलएम का उद्देश्य चरण बद्ध तरीके से शहरी बेघर लोगों को अनिवार्य सुविधाओं से युक्त आश्रय प्रदान करना होगा ।
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एनयूएलएम मंत्रालयों/विभागों से संबद्ध योजनाओं/कार्यक्रमों और कौशल, आजीविकाओं, उद्यमिता विकास, स्वास्थ्य , शिक्षा, सामाजिक सहायता आदि के कार्य निष्पादित करने वाले राज्य सरकारों के कार्यक्रमों के साथ समाभिरूपता पर अत्यधिक बल देगा । ग्रामीण और शहरी गरीब लोगों की आजीविका के बीच एक सेतु के रूप में ग्रामीण-शहरी प्रवासियों के कौशल प्रशिक्षण को बढावा देने के लिए सभी संबंधित विभागों से एक संयुक्त कार्यनीति बनाए जाने का समर्थन करने का अनुरोध किया जाएगा ।
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एनयूएलएम का उद्देश्य शहरी बेघर लोगों को कौशल प्रशिक्षण, रोजगार और आश्रय के प्रचालन में सहायता प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी प्राप्त करना है । यह शहरी बेघर लोगों को कौशल प्रशिक्षण, रोजगार और आश्रय प्रदान करने तथा साथ ही ऐसे शहरी गरीब उद्यमियों को जो कि स्व-रोजगार प्राप्त करना तथा अपने निजी लघु व्यावसायिक अथवा विनिर्माण यूनिट स्थापित करना चाहते है, प्रौद्योगिकीय, विपणन और एकजुट सहयोग देने में सहायता प्रदान करने में निजी और सिविल समाज के क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी के लिए प्रयास करेगा ।
मूल्य
एनयूएलएम निम्नलिखित मूल्यों का समर्थन करेगा :-
(i) सभी प्रक्रियाओं में शहरी गरीबों और उनके संस्थानों का स्वामित्व और लाभकारी सहयोग ।
(ii) संस्थागत निर्माण और क्षमता सुदृढीकरण सहित कार्यक्रम के डिजाईन और क्रियान्वयन में पारदर्शिता ।
(iii) सरकारी पदाधिकारियों और समुदाय की जबावदेही ।
(iv) उद्योग और पणधारियों के साथ भागीदारी ।
(v) सामुदायिक आत्म-विश्वास, आत्म-निर्भरता, स्वयं-सहायता और पारस्परिक-सहायता।