शहरी विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीईसी) के अनुसार, जिसने वर्ष 2011 में भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी । आगामी 20 वर्षों के दौरान शहरी अवस्थापना क्षेत्र में 39 बिलियन रूपए (वर्ष 2009-10 के मूल्यों पर 39.2 लाख करोड़ रू0) की आवश्यकता है ।
एचपीईसी के अनुमानों के अनुसार, क्योंकि शहरी सड़कों का बैकलॉग काफी बड़ा है, अत: इस निवेश का 44 प्रतिशत शहरी सड़कों के लिए चाहिए, जबकि जल, सीवर, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल निकास, पथ प्रकाश को अगले 20 प्रतिशत के निवेश की आवश्यकता होगी । निवेश का 14 प्रतिशत परिवहन और यातायात संबंधी अवस्थापन के लिए आवश्यक है । इस निवेश को कुछ अन्य क्षेत्रों जैसे, निवेश का 10.5 प्रतिशत स्लमों के पुन: विकास समेत शहरी नवीकरण पर और 2.5 प्रतिशत बेहतर शहरी शासन हेतु क्षमता विकास के लिए किए जाने की आवश्यकता है ।
निवेश की आवश्यकता के वृहत आकलनों पर विचार करते हुए, यह माना गया है कि केन्द्र, राज्य और स्थानीय शासन के बजटीय संसाधनों से पर्याप्त राशियां आबंटित नहीं की जा सकती । अत: यह निवेश जरूरत बाजार के वित्तीय संसाधनों के दोहन और नीति के अनुरूप विकास कार्यक्रमों में निजी क्षेत्र की सहभागिता के प्रोत्साहन से पूर्ण की जा सकती है।
वर्तमान में 12वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2012-17) के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।